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लेखनी प्रतियोगिता -24-Mar-2022 अनदेखा अनसुना सा

अनदेखा अनसुना सा 
एक स्मार्ट सा युवक 
एक दिन अचानक ही 
मुझसे यूं टकरा गया । 
उसकी नीली आंखों में 
जाने कैसा जादू सा था 
ये दिल उस पर आ गया । 
मेरे ख्वाबों में वो बांका 
बरबस रोज आने लगा 
मेरे दिलो दिमाग पर भी 
बादल बनकर छाने लगा 
मेरे मन में प्रेम की कैसी
बरसात सी होने लगी 
मैं उसकी मजबूत बांहों में 
डूबकर सपने पिरोने लगी ।
उसकी भारी आवाज में 
गजब का जादू सा था 
ये दिल उसके इश्क में 
अब बेकाबू सा था । 
धड़कनों पर उसका पहरा था
मन उसी के पास ठहरा सा था 
उसकी एक छुअन भर से 
मैं संवर संवर सी गई हूं 
उसकी मुहब्बत के रंग से
निखर निखर सी गई हूं । 
एक अनजाना सा डर लगता है
मेरी सखियों को वो जंचता है 
कहीं कोई उड़ाकर न ले जाये
मुझे गमों का बोझ ना दे जाये 
मगर मुझे दिल पर विश्वास है
मेरा प्यार ही तो मेरी आस है 
मेरी प्रीत अगर सच्ची है तो 
अनजाने को मेरा होना होगा 
अनदेखे अनसुने इस ख्वाब को 
अब तो सच होना ही होगा । 

हरिशंकर गोयल "हरि"
24.3.22 


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17 Comments

Punam verma

25-Mar-2022 10:22 AM

Very nice

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Niraj Pandey

24-Mar-2022 08:10 PM

बहुत खूब

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Hari Shanker Goyal "Hari"

25-Mar-2022 03:10 AM

💐💐🙏🙏

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Swati chourasia

24-Mar-2022 07:11 PM

बहुत सुंदर रचना 👌

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Hari Shanker Goyal "Hari"

25-Mar-2022 03:10 AM

हार्दिक आभार आपका मैम

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